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Shivji Ki Aarti | शिवजी की आरती : ॐ जय शिव ओंकारा

 भगवान शिव अपने भक्तों पर जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. भोलेनाथ को उनकी सौम्य आकृति के साथ उनके रौद्ररूप के लिए पहचाना जाता है. भगवान शिव भोले स्वभाव के होने के कारण भगवान भोलेनाथ कहलाते हैं. उनकी शिव चालीसा का पाठ करने से वो अपने किसी भी भक्त से आसानी से मान जाते हैं और उन्हें मनचाहा वरदान दे देते हैं

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शिव आरती 

शिव आरती का पाठ

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जानें क्या है शिव आरती की महिमा और उसका महत्व

भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए के लिए शिव आरती (Om jai Shiv Omkara), शिव भजन और शिव मंत्रों का पाठ किया जाता है। कहा जाता है कि भगवान शिव की आरती के बिना पूजा अधूरी मानी गई है. शिव जी की आरती घी लगी हुई रुई की बत्ती और कपूर से करनी चाहिए।


दुनिया भर में भगवान शिव के अनेक भक्त हैं। जो भगवान शिव की भक्ति में रहते हैं उनकी पूजा अर्चना करते हैं।

आइये हम भी भगवान शिव की आरती पढ़कर उनकी आराधना करते हैं।

शिव आरती के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है. शिव चालीसा के पाठ से कठिन से कठिन कार्य को बहुत ही आसानी से किया जा सकता है. शिव चालीसा की 40 पंक्तियां सरल शब्दों में विद्यमान है जिनकी महिमा बहुत ही ज्यादा है. भगवान शिव भोले स्वभाव के होने के कारण भगवान भोलेनाथ कहलाते हैं. उनकी शिव आरती का पाठ करने से वो अपने किसी भी भक्त से आसानी से मान जाते हैं और उन्हें मनचाहा वरदान दे देते हैं.

Shiv Ji Ki Aarti-Om Jai Shiv Omkara: आरती शिवजी की : ओम जय शिव ओंकारा 

आरती शिव जी की 


जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥


एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥


दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥


अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥


श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥


कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥


ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥


काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥


त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥


जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥


 ॐ जय शिव ओंकारा…॥



शिव चालीसा कब पढ़नी चाहिए?

शिव चालीसा का पाठ हमेशा सबुह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद ही पढ़नी चाहिए।


शिव चालीसा पढ़ने के क्या फायदे हैं?

वेदों के अनुसार भक्त शिव चालीसा का अनुसरण अपने जीवन की कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने के लिए करता है. शिव चालीसा के माध्यम से आप भी अपने दुखों को दूर करके शिव की अपार कृपा प्राप्त कर सकते हैं. व्यक्ति के जीवन में शिव चालीसा का बहुत महत्व है. शिव चालीसा के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है.


शिव चालीसा कैसे पढ़ें?

शिव चालीसा पाठ के नियम | Shiv Chalisa Path Niyam

शिव पूजा में सफेद चंदन, चावल, कलावा, धूप-दीप, पुष्प, फूल माला और शुद्ध मिश्री को प्रसाद के लिए रखें. पाठ करने से पहले गाय के घी का दिया जलाएं और एक कलश में शुद्ध जल भरकर रखें. शिव चालीसा का 3, 5, 11 या फिर 40 बार पाठ करें. शिव चालीसा का पाठ सुर और लयबद्ध करें


क्या हम रोज शिव चालीसा पढ़ सकते हैं?

शिव चालीसा में चालीस पंक्तियां हैं जिनमें भगवान शंकर का स्तुतिगान है. वैसे तो आप भगवान शिव की स्तुति किसी भी दिन कर सकते हैं, लेकिन शास्त्रों में सोमवार को भगवान शंकर का दिन माना जाता है. इसलिए सोमवार के दिन यदि शिव चालीसा का पाठ किया जाए तो उसका फल जल्द प्राप्त होता है.


चालीसा कितनी बार पढ़ना चाहिए?

हनुमान चालीसा पाठ में एक पंक्ति है 'जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महासुख होई'. आप इसका पाठ 7, 11, 100 और 108 बार कर सकते हैं. शास्त्रों में यह भी विधान है कि प्रतिदिन सौ बार पाठ करने से कई प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं, अगर आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो कम से कम 7 बार पाठ जरूर करें.


भोलेनाथ को खुश करने के लिए क्या करना पड़ता है?

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए स्नानादि करके सफेद, हरे, पीले, लाल या आसमानी रंग के वस्त्र धारण करके पूजा करें. पूजा में भगवान भोलेनाथ को अक्षत यानि चावल अर्पित करें. ध्यान रहे चावल खंडित यानि टूटा ना हो. सोमवार के दिन दही, सफेद वस्त्र, दूध और शकर का दान करना श्रेष्ठ माना जाता है.


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